रविवार 8 दिसंबर 2024 - 06:09
मनुष्य के सवाब और दण्ड में जबान का प्रभाव

हौज़ा / इमाम सज्जाद (अ) ने मानव शरीर के इस अंग को एक रिवायत में पेश किया है जो उसके इनाम और दण्ड को प्रभावित करता है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, निम्नलिखित हदीस "उसुल काफ़ी" पुस्तक से ली गई है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:

قال الامام السجاد علیه السلام:

اِنَّ لِسـانَ ابْنِ آدَمَ یُشْـرِفُ عَـلی جَمیعِ جَوارِحِهِ کُلَّ صَباحٍ فَیَقُـولُ: کَیْفَ اَصْبَحْتُمْ؟ فَیَقُولُونَ: بِخَیْرٍ اِنْ تَرَکْتَنا، وَ یَقُولُونَ: اَللّهَ اَللّهَ فـینا وَ یُـناشِـدُونَهُ وَ یَـقُولُونَ: اِنَّـما نُـثابُ وَ نُعـاقَبُ بِـکَ

हज़रत इमाम सज्जाद (अ) ने फ़रमाया:

हर सुबह इबने आदम की ज़बान दूसरे अंगों की ओर मुड़ती है और उनसे कहती है: तुम सब कैसे हो? तुम सब कैसे हैं?

तो वे इसे (प्रतिक्रिया में) कहते हैं? यदि तुम हमें (हमारे हाल पर) छोड़ दो तो हम ठीक हैं। हमारी निस्बत अल्लाह से डरो। वे उसे ख़ुदा की क़सम देते हैं और कहते हैं: हमारा इनाम और सज़ा केवल तुम्हारी वजह से है।

उसुल काफ़ी, भाग 3, पेज 177, हदीस 1824

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